प्रेगनेंसी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें और संपूर्ण जानकारी।(all about pregnancy nd pregnancy symptoms))

    प्रेगनेंसी (गर्भावस्था)की संपूर्ण जानकारी all information of pregnency and pregnency symptoms)   

    शादी के कुछ वक्त बाद हर कपल चाहता है कि वह एक प्यारे से बच्चे को जन्म दे और साथ ही उनके पूरे परिवार की भी इच्छा होती है कि उनके घर में एक नन्हा सा मेहमान आए जो उनके परिवार को बढ़ा सकें इसके लिए हर महिला प्रेग्नेंट होना चाहती है और वह प्रेगनेंसी से जुड़ी हर जानकारी को जानने के लिए हमेशा इच्छुक रहती है प्रेगनेंसी के लक्षण बहुत से होते हैं परंतु यह कुछ प्रमुख लक्षण है जिनके माध्यम से आप आसानी से जान सकते हैं कि आप प्रेग्नेंट है या नहीं। तो आइए हमारी इस पोस्ट प्रेगनेंसी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें और संपूर्ण जानकारी all about pregnancy  ओर pregnency symptoms के माध्यम से अपनी जानकारी को बढ़ा सकते हैं और अपना और अपने गर्भस्थ शिशु का ख्याल आसानी से रख सकते हैं।
    आप पढ़ रहे है प्रेगनेंसी से जुड़ीं सम्पूर्ण जानकारी

     इस लेख की सूची


    • प्रेगनेंसी के प्रमुख लक्षण (pregnency symptoms)

    • प्रेगनेंसी के 9 महीनों की सारी जानकारी


    1. प्रेगनेंसी का पहला महीना 1months pregnent

    2. प्रेग्नेंसी का दूसरा महीना 2 months pregnent
    3. प्रेगनेंसी का तीसरा महीना 3 months pregnent
    4. प्रेगनेंसी का चौथा महीना 4 months pregnent
    5. प्रेग्नेंसी का पांचवा महीना 5 months pregnant
    6. प्रेगनेंसी का छठा महीना 6 months pregnent
    7. प्रेगनेंसी का सातवां महीना 7 months pregnant
    8. प्रेगनेंसी का आठवां महीना 8 months pregnant
    9. प्रेगनेंसी का नौवा महीना महीना 9 months pregnent



     प्रेग्नेंसी के लक्षण( pregnency simptoms )

    1. पीरियड्स में देरी
    2. ब्राउन डिस्चार्ज और क्रैंपिंग
    3. जी मिचलाना और उल्टी होना
    4. ब्रेस्ट में सूजन और दर्द
    5. मूड स्विंग होना
    6. सिर दर्द होना
    7. थकान महसूस होना
    8. शरीर का तापमान बढ़ना
    9. भोजन में अरुचि
    10. कुछ खास खाने की इच्छा होना
    11. निप्पल का रंग बदलना

    प्रेगनेंसी के 9 महीनों की सारी जानकारी(information of all 9 month of pregnancy and pregnancy simptoms)


    1. प्रेगनेंसी का पहला महीना और लक्षण(first month of pregnancy and pregnency symptoms)


    दोस्तों प्रेगनेंसी के प्रथम महीने में बहुत कुछ ऐसा होता है जिससे आपके हाव-भाव परिवर्तित होने लगते हैं। प्रेगनेंसी जानने का सटीक तरीका महिला की माहवारी का मिस होना जाना जाता है। महिलाएं अपने घर पर ही प्रेगनेंसी किट की सहायता से अपने प्रेग्नेंट होने का पता लगा सकती हैं।डॉक्टर पहले महीने की गणना आखिरी पीरियड के पहले दिन से करते हैं इसलिए पहले 2 हफ्ते तक आपको गर्भाधान का पता नहीं चलता है। अब पीरियड्स के मिस होने की डेट से इसमें 9 महीने और 7 दिन जोड़कर बच्चे की जन्म की अनुमानित तिथि बताते हैं परंतु इस स्थिति पर ही बच्चे जन्म नहीं लेते हैं। इसमें 1 हफ्ते का अंतराल होता है या तो वे एक हफ्ते पहले जन्म लेते हैं या एक हफ्ते बाद जन्म लेते हैं। यह केवल डॉक्टर द्वारा दी गई अनुमानित तिथि होती है। गर्भावस्था के शुरुआती दिन सभी महिलाओं के लिए बहुत नाजुक होते हैं। इस वक्त यदि आप अपने खान-पान का ख्याल रखें तो आपका बच्चा ना ही तो कमजोर होता है और ना ही शारीरिक रूप से विकलांग होता है। पहले माह में महिला को थकान महसूस होने लगती है वही महिला का स्वभाव बदलने लगता है महिलाओं को उल्टी होना, मॉर्निंग सिकनेस, मिथली और ऐंठन होने लगती है। इसके साथ ही कमर दर्द, कब्ज, सिर दर्द, चक्कर आना और नींद ना आना आदि कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह हार्मोन अल चेंजेज की वजह से होता है ।ब्रेस्ट का आकार बढ़ने के साथ-साथ दर्द भी महसूस होने लगता है और पेशाब बार बार आता है इस समय ढीले वाले कपड़े पहने तथा हाई हील्स का प्रयोग ना करें।इस समय आपको हल्का रक्त स्त्राव भी हो सकता है परंतु डॉक्टर की सलाह ले ले।यह अधिकतर महिलाओं को होता है यह समय जैसे फर्टिलाइजेशन होता है या निषेचन होता है तो अंडा कई कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है इसके बाद  कोशिकाओं की बॉल्स एक भ्रूण का रूप ले लेते हैं इसके बाद गर्भनाल जो बच्चे को पोषण व ऑक्सीजन देने का काम करती है वह एक्टिव हो जाती है यह कोशिकाएं तीन परतों में विभाजित हो जाती हैं जो आगे चलकर शिशु के अंग व उत्तक बनाती है इस समय भ्रूण का वजन 1 ग्राम होता है भ्रूण के आसपास एक लिक्विड की थैली होती है जो गर्भस्थ शिशु का विकास करती है इस समय से बच्चे का विकास शुरू हो जाता है इस समय आपको पालक बादाम चिकन सूप भिंडी संतरा ब्रोकली अंडा मछली दही आदि का सेवन अवश्य करना चाहिए यह आयरन कैल्शियम से भरपूर आहार होता है।

    2. प्रेग्नेंसी का दूसरा महीना और लक्षण(second month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    मां बनने की सुखद एहसास का यह दूसरा महीना होता है। हर मां अपने बच्चे के विकास को अनुभव करती है। दूसरे महीने में भ्रूण का आकार करीब 1 इंच का हो जाता है। इस समय महिला का वजन एक से डेढ़ किलो तक बढ़ना चाहिए। इस वक्त महिलाओं को जो सबसे अधिक प्रॉब्लम होती है वह है मॉर्निंग सिकनेस। यह सुबह के वक्त होती है इसमें आपको उल्टी होना या वैसा महसूस होना होता है। इस दौरान या समस्या आम होती है इस वक्त आप के मूड में भी परिवर्तन आता है ।इस दौरान आप बार बार पेशाब आने की समस्या से जूझ सकते हैं। छाती में जलन अपच और पेट की समस्या भी हो सकती है सामान्य से कम भूख लगना चक्कर आना व निप्पल में बदलाव वैजिनल डिस्चार्ज आधी समस्या होती है कभी-कभी गर्भाशय में दर्द भी हो सकता है थकावट भी होती है इस समय शिशु का विकास होता है उसका आकार राजमा के समान होता है तथा वजन 1 पॉइंट 2 ग्राम लंबाई 1 पॉइंट 6 मीटर होती है इस वक्त शिशु मानव रूप लेने की ओर अग्रसर होता है गर्भ में सबसे पहले राधे विकसित होता है फिर लीवर आकार लेता है दूसरे महीने की प्रेगनेंसी के अंतिम चरण तक बच्चे के सभी अंग सही जगह पर होते हैं और हालांकि वे सही तरीके से काम नहीं करते हैं इसके अलावा आपको बच्चे के हाथ पैरों के ऊपर बनने लगते हैं।इस वक्त बच्चे की आंखें बनने की शुरुआत भी हो जाती है अब बच्चे में 1000000 कोशिकाएं बन जाती है जो सभी अंगो का निर्माण करती है।इसके अलावा बच्चे के नाक हॉट लीवर वरदान बनने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है इस दौरान शिशु के मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं दन तृतीय मार्ग बनाने के लिए बाहर निकलने लगती है उसकी बाजू इतनी लंबी होती है कि शिशु के हाथ उसकी छाती तक पहुंचते हैं और उसकी टांगे भी लंबी हो रही होती है। प्रेगनेंसी के इस माह के दौरान महिला को फोलिक एसिड, पालक, नट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, बिंस, मांस अंडे व साबुत अनाज का सेवन तथा दूध आदि का सेवन जरूर करना चाहिए। तथा डॉक्टर द्वारा दी गई फोलिक एसिड की गोलियां भी जरूर लेनी चाहिए इससे आपको एनीमिया नामक रोग नहीं होगा
     तथा इसके अतिरिक्त आयरन कैल्शियम तथा प्रोटीन आदि सप्लीमेंट का रोजाना सेवन करना चाहिए। प्रेगनेंसी में यह बहुत फायदेमंद होता है इसी से आपकी शिशु का विकास अच्छी तरह से होता है

    3. प्रेगनेंसी का तीसरा महीना और लक्षण(third month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    प्रेगनेंसी के तीसरे महीने की शुरुआत में आपके बच्चे की हाइट 2 पॉइंट 5 सेंटीमीटर से 3 सेंटीमीटर तक होती है जो महीने के अंत में 7 से 8 सेंटीमीटर में बदल जाती है क्योंकि इस माह में ग्रोथ बहुत तेजी से होती है और इस वक्त आपके बच्चे का वेट भी तेजी से बढ़ता है इस माह की शुरुआत में आपके शिशु का वजन 1 से 2 ग्राम वजन होते होते अंत में 23 से 25 ग्राम तक बढ़ जाता है।आपके बच्चे का ऑर्गन डेवलपमेंट इस समय के अंत तक सभी ऑर्गन डेवलपर हो चुके होंगे इस समय ब्रेन भी विकसित हो जाता है इस समय शिशु के मुंह की शकिंग पावर यानी चूसने की क्षमता विकसित हो जाती है जो आगे चलकर ब्रेस्टफीडिंग के लिए आपके शिशु को रेडी कर देती है किडनी भी फंक्शन करना शुरू कर देती है इस समय आपके बच्चे की स्किन के बाल भी बनना शुरू हो जाते हैं।हाथ और पैर पुरी तरह से बन जाते हैं और बच्चा आपके पेट के अंदर मोमेंट करने लगता है।इस समय आप अपनी सोनोग्राफी काफी इंजॉय करेंगे क्योंकि वह इस समय आपको काफी मूवमेंट करके बताएगा। इस वक्त आपको खाना भी पसंद आने लगेगा और आपकी मॉर्निंग सिकनेस उल्टी वह मछली की समस्या भी धीरे-धीरे हल होती दिखाई देगी इस समय योगा मेडिटेशन करना भी लाभदायक रहेगा। बुकिंग करना भी आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है इस समय अब वाकिंग करना भी शुरू कर सकती है इस समय कई महिलाओं के हारमोंस में परिवर्तन होने से स्क्रीन में फर्क महसूस होता है या तो आपकी स्किन ग्लो करने लगती है या फिर आपकी स्किन डल हो जाती है। इस वक्त आप की निप्पल का रंग भी थोड़ा गहरा होने लगता है इससे आपको घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है यह प्रेगनेंसी में आम बात है। आपको इस वक्त पिगमेंटेशन की शिकायत भी हो सकती है आप इस समय अच्छी डाइट लें जिसमें विटामिंस, कैल्शियम, प्रोटीन तथा आयरन की भरपूर मात्रा हो आप इस समय अपने पेट पर ऑयल मसाज भी कर सकती हैं इससे आगे चलकर आपको stretch marks की समस्या नहीं होंगी।


    4. प्रेगनेंसी का चौथा महीना और लक्षण(4th month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    इस महीने में बच्चे में इंसुलिन हार्मोन बनने लगता है जोकि आगे चलकर ग्लूकोस लेवल को कंट्रोल करता है। इस समय में यानी गर्भावस्था के 13 सप्ताह में शिशु कुल 30 ग्राम का होता है। और 3 इंच लंबा होता है। इस समय बच्चे की नाक व टूटी बन चुकी होती है। वही समय मुंह खोल सकता है तथा बंद भी कर सकता है। बच्चा इस माह में हाथ पैर भी मारने लगता है 14 सप्ताह में बच्चा 30 ग्राम से बढ़कर 45 ग्राम का हो जाता है। और उसकी लंबाई 3 पॉइंट 4 सेंटीमीटर तक हो जाती है उसका चेहरा भी मुलायम होता है।उसके गुर्दे का विकास हो रहा होता है गर्भाशय वह प्लेसेंटा दोनों बढ़ रहे होते हैं।इस वक्त गर्भाशय का वजन ढाई सौ ग्राम हो जाता है और वह नीचे की ओर जाने लगता है इसके बाद हम बात करते हैं 15 सप्ताह की जिसमें बच्चे का वजन 75 ग्राम हो जाता है ।वह लंबाई 4 इंच हो जाती है। इस समय जीभ का विकास होता है, और वह स्वाद लेने में सक्षम हो जाती है। इस माह के अंत तक बच्चा 100 ग्राम का हो जाता है तथा वह जागता और सोने भी लगता है। और उसके कान भी सुनने में सक्षम हो जाते हैं यह ऐसा समय होता है जब गर्भवती महिला का वजन भी बढ़ जाता है और उसके पैरों में दर्द भी होने लगता है इस वक्त महिला को हर दूध से 3 घंटे में पोस्टिक आहार खाना चाहिए जिससे केला दूध सब्जियां आदि तथा पानी भी आपको अधिक पीना चाहिए,पानी आपके शरीर को हाइड्रेट रखता है और इससे कमजोरी चक्कर आना आदी समस्या कम हो जाती है।


    5. प्रेग्नेंसी का पांचवा महीना और लक्षण(5th month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    बच्चे का तेजी से विकास होने के कारण आप गर्भावस्था के पांचवे महीने में थोड़े ज्यादा दर्द व पीड़ा महसूस कर सकती है।टावर यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आपका पेट भी बच्चे को विकास करने देने के लिए बढ़ जाएगा वह पहले से अधिक दिखने लगेगा। इस महीने के अंत तक आप अपनी आधी गर्भावस्था पार कर चुकी होती है। शायद इस उत्साह की ही वजह से आपकी ऊर्जा पहली तिमाही से अधिक होती है। और आपके चेहरे पर प्रेगनेंसी ग्लो आने लगता है। इस माह के अंत तक आपका बच्चा 8 से 12 इंच तक लंबा होगा। वह करीब 453 ग्राम उसका वजन हो सकता है। बच्चा  vernixनामक सफेद वह मोटे से पदार्थ का उत्पादन करता है जो उसके पैदा होने तक एमनीओटिक द्रव से उसकी पतली त्वचा की रक्षा के लिए उसके शरीर को ढकने के लिए काम करता है।बच्चे की हड्डियां मांसपेशियां पूरी तरह से विकसित हो जाएंगी इसके साथ ही वह अंगड़ाई लेना जम्हाई लेना और तरह-तरह के मुंह बनाना भी सीख जाता है। वह गीत भी मार सकता है और कई गतिविधियां जैसे करवट लेना, हिलना डुलना आदि शुरू कर देता है। इन हरकतों को आप थोड़ा थोड़ा महसूस भी कर सकती है। वह नियमित रूप से सोता वह जागता है और इसी महीने में उसकी अंगुलियों के निशान भी विकसित होते हैं।अगर गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है तो उसके अंडकोष इसी महीने में विकसित हो जाते हैं और यदि लड़की है तो गर्भाशय विकसित हो जाता है तथा उसके अंडाशय में अंडे भी आ जाते हैं। इस महीने में आपका गर्भाशय खरबूजे के आकार का हो जाता है वह आप संभवतः डिलीट वाले कपड़े भी पहनना शुरू कर देती है। इस महीने खिंचाव के निशान आपको देखने लगते हैं यह समय स्ट्रेच मार्क्स क्रीम आपको लगानी चाहिए पेट में दर्द के अलावा आप पैरों में सूजन वह पीठ में दर्द भी महसूस कर सकती है ऐसी और सुविधाएं आपको अब और ज्यादा गिरेंगे इस दौरान आपको सीने में जलन और कुछ और कब्ज की शिकायत रहेगी इस समय अधिक भूख लगने पर भूलकर भी आप स्नेक्स या कोई भी जंक फूड ना खाएं यह आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक होता है। आपको इस समय प्रीनेटल कैलशियम,।मैग्निशियम सप्लीमेंट्स लेनी चाहिए।


    6. प्रेगनेंसी का छठा महीना और लक्षण(6th month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    प्रेगनेंसी का छठा महीना दूसरी तिमाही का आखिरी महीना होता है। अब तक आपका पेट काफी बढ़ जाता है। बच्चा इस माह में 1 फुट लंबा वह करीब 680 ग्राम का हो जाता है।इस माह के अंत तक वह लगभग पूरी तरह से बन चुका होता है परंतु उसके फेफड़े स्वयं कार्य करने के लिए विकसित नहीं हुए होते हैं।बच्चे का सिर किस समय लगभग उसके शरीर के अनुपात का होता है वह उसका चेहरा पूरी तरह से विकसित हो जाता है।यद्यपि बच्चे की आंखें अभी भी बंद होती है वह प्रकाश वह अंधेरी को महसूस कर सकता है अब उसकी त्वचा पारदर्शी नहीं रहती, क्योंकि उसे गर्म रखने के लिए उसका शरीर वसा का उत्पादन करना शुरू कर देता है।उसकी मांसपेशियां मजबूत होने लगती है जिसका आपको तब अनुभव होगा जब वह किक मारे गा या हीलेगा डूलेगा। उसका शरीर सफेद रक्त कोशिकाएं बना रहा होता है जो रोगों से लड़ने में उसकी मदद करती हैं। आप ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन महसूस कर सकती है यह छोटे-छोटे संकुचन आप ही शरीर को प्रसव के समय के लिए तैयार करते हैं अब तक आपका वजन लगभग 5 से 7 किलो बढ़ चुका होता है। स्वस्थ गर्भावस्था आहार लें। तथा विटामिन लेते रहे। एवं खुद को हाइड्रेट रखें तथा दिन भर पानी पीते रहे।


    7. प्रेगनेंसी का सातवां महीना और लक्षण(7 month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    नन्हे शिशु को बाहों में लेने का समय नजदीक आ गया है इस दौरान आपकी उत्सुकता भी चरम सीमा पर होगी। परंतु अब आपको बहुत वजन लगने लगेगा इस समय गर्भाशय चौगुना हो जाता है, इस अवधि के दौरान थकावट बढ़ने लगती है। आराम करें यह समय मां को खुले में घूमना चाहिए। और अब भारी वजन के कारण पैरों में दर्द व सूजन की समस्या होगी। प्रेगनेंसी के इस महीने में शिशु का आकार पहले से बढ़ता है।वह तेजी से घूमने लगता है शिशु की हड्डियां अधिक बलशाली हो जाती है, शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र का विकास तेजी से हो जाता है। ब्यूटी भी सक्रिय हो जाते हैं तथा आंखें खुलना और बंद होना शुरू हो जाती है। इस वक्त महिला की पेट का आकार बढ़ जाता है तथा सोने में परेशानी होने लगती है। प्रेगनेंसी में आपको हमेशा भाई और करवट लेकर सोना चाहिए इससे शिशु भी सही रहता है और मां को भी आराम से नींद आती है।इस दौरान आपकी नाभि भी ऊपर जाती है क्योंकि आपका गर्भाशय नाभि के ऊपर आ जाता है अब आपके स्तनों में से भी पीला पानी जैसा पदार्थ निकलने लग जाता है तथा स्तनों पर काले निशान भी दिखने लगते हैं।इसके अलावा आपकी योनि में से स्त्राव की मात्रा बढ़ने लग जाती है। आपको भावनात्मक बदलाव भी होते हैं, जैसे उत्तेजना में वृद्धि ,उदासी का बढ़ जाना, मन नहीं लगना इत्यादि।इस दौरान आप सभी पसंदीदा चीजें खाएं परंतु उच्च वसा तथा अधिक मिर्च मसाले वाली चीजें ना खाएं या आपके और आपके बच्चे के शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।घर का बना हुआ ताजा खाना खाएं तथा डॉक्टर द्वारा दिए गए सप्लीमेंट्स ले। घर का भोजन लें तथा दिन में कम से कम दो ताजे फलों का सेवन जरूर करें। पानी जरूर पिएं इससे कब्ज की समस्या दूर होती है। इस दौरान चिप्स, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, केचप,अचार आदि का सेवन ना करें। एवं धूम्रपान भी ना करें।यदि प्रेगनेंसी में आपको एसिडिटी बढ़ जाती है तो आप ठंडे दूध का सेवन जरूर करें। तथा भूल कर भी हाई हील्स का प्रयोग ना करें इससे आपको पैरों में दर्द की समस्या हो सकती है।


    8.प्रेगनेंसी का आठवां महीना और लक्षण(8th month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    प्रेगनेंसी के आठवें महीने में पिछले 7 महीने से भी ज्यादा ध्यान दें। इस समय मां को झुककर करने वाले सारे काम बिल्कुल नहीं करने चाहिए। सीढ़ियों से चढ़ना उतरना बंद कर देना चाहिए। बहुत जरूरत हो तभी चढ़ेया उतरे। इस माह में महिला को चाहिए कि वह ज्यादा देर तक एक जगह खड़ी ना रहे इससे आपको पेट दर्द की शिकायत बढ़ सकती है।इस समय शिशु का वजन बढ़ा हुआ होता है, जिस कारण एक जगह पर खड़े रहने से शिशु नीचे की ओर अपना दबाव बनाने लगता है। इस समय आपके बच्चे का शरीर पूरी तरह से बन चुका होता है। हालांकि फेफड़ों वह मस्तिष्क का अभी भी विकास हो रहा होता है। आपका बच्चा आप जब चाहे आप जबकि ले सकता है और उसकी पलकों को प्रकाश  में फैलना और सिकुड़ना भी शुरु कर देती है। बच्चे का विकास हो रहा होता है और उसके शरीर में चर्बी भी बढ़ने लगती है। वह 1 हफ्ते में 450 ग्राम वजन अर्जित कर लेता है। इस महीने के अंत तक वह 19 इंच लंबा होगा और वजन लगभग 2 से 3 किलो का होगा।अब आप के गर्भ में जगह भी कम बचती है इसलिए वह अब पहले की तरह घूम नहीं पाता है और अब उसका सिर संभवतया नीचे की और हो जाता है।और वह इसी स्थिति में पैदा होने तक रहता है ।आप अपने पेट को काफी बढ़ा हुआ महसूस करेंगी। और इस समय प्रेग्नेंसी से आप थक चुकी होती है।वास्तव में ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि यही हार्मोन आपके कूल्हों के जोड़ों को आराम पहुंचाने के लिए उन्हें थोड़ा ढीला कर देते हैं जिससे प्रसव और डिलीवरी में आसानी हो सके।जिसकी वजह से आप डगमग आते हुए चलना भी शुरु कर देती हैं जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है वह आपकी मूत्राशय पर दबाव डालना शुरू कर देता है इसलिए आप शायद बाथरूम का अधिक उपयोग करने लगेंगे।थोड़ी मात्रा में बार बार भोजन करने से गर्भावस्था में एसिडिटी और सीने में जलन तथा अपच की समस्या से राहत मिलती है। इस समय अस्पताल जाने के लिए अपना बैग व जरूरी सामान रख लेना चाहिए।अपने माता-पिता या सास-ससुर तथा कोई और भी रिश्तेदार जिसे आप हॉस्पिटल में अपने साथ ले जाना चाहे उनका भी सामान रख लेना चाहिए।

    9.प्रेगनेंसी का 9 वा महीना और लक्षण(9 month of pregnancy and pregnancy symptoms)


    प्रेगनेंसी के 9 वे महीने में आपको केवल स्थिति को देखना है वह आकलन करना है। क्योंकि इस समय आपका बच्चा कभी भी जन्म ले सकता है इस महीने में पैरों में सूजन की समस्या आपको बहुत परेशान कर सकती है, क्योंकि इस माह में आपका वजन बहुत ज्यादा बढ़ चुका होता है। तथा आपको चलने फिरने तथा सोने आदि में बहुत परेशानी होती है। इस महीने में आपको बार बार बाथरूम जाना पड़ सकता है क्यो की बच्चा नीचे की ओर आ जाता है तथा आपके मूत्राशय पर दबाव पड़ता है इस कारण बार-बार पेशाब की परेशानी होती है। प्रेग्नेंसी के नौवें महा में आप सोते समय जरूर करवट लेकर ही सोए तथा बाएं और ही सोएं इससे आपका और आपके बच्चे का विकास सही रहता है। महिला का पेट इस समय बराबर ऐसा लगता है तथा उन्हें कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती है परंतु इस समय आप 1 से 2 घंटे के भीतर जरूर कुछ खाएं क्योंकि इससे आपको कब्ज की समस्या भी हो सकती है यदि आप थोड़ी थोड़ी देर में कुछ ना कुछ पोषक चीजें खाएंगे तो आपको कब्ज की समस्या नहीं होगी।इस महीने में बच्चा कभी भी हो सकता है इस समय बच्चे की गतिविधियां कम हो जाती है क्योंकि बच्चे को घूमने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती है और वह नीचे की ओर आ जाता है इस कारण वह कभी भी जन्म लेने को तैयार हो जाता है। अब नन्हीं सी जान आपके बाहों में आने के लिए पूरी तरह से तैयार है आप नन्हे बच्चे और अपने सारे कपड़े व जरूरी सामान अपने बैग में पैक करके उनका निरीक्षण कर ले इससे आपको अचानक दर्द के वक्त जल्दबाजी में जाना पड़ सकता है इस कारण पहले से पूरी तैयारी करके रखे।


    प्रेगनेंसी में ध्यान रखने योग्य कुछ बातें



    • प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में आप को ध्यान रखना होगा कि आप कोई भी भारी भरकम चीजें ना उठाएं इससे आपके पेट पर जोर पड़ता है और आपको मिस।गेरेज की संभावना ज्यादा बन जाती है।इसलिए ध्यान रखें कि आप 2 किलो से ज्यादा का वजन शुरुआती 3 महीनों में बिल्कुल ना उठाएं और आप पूरे नो ही महीने में वजन उठाने से परहेज रखें तो बहुत ही अच्छा होगा।
    • प्रेगनेंसी के दौरान आपको सीढ़ियों से चढ़ना उतरना छोड़ देना चाहिए क्योंकि सीढ़ियां चढ़ने से आपके पेट पर जोर पड़ता है और सीढ़ियों से पैर फिसलने का डर भी रहता है इस कारण आप सीढ़ियों का इस्तेमाल बहुत ही कम करें तो बेहतर रहेगा।
    • प्रेगनेंसी के शुरुआती 3 से 4 महीने के भीतर आपको कुछ भी गर्म चीज नहीं खानी चाहिए जैसे कि गुड कच्चा पपीता मसाले वाली चाय अधिक मसाले युक्त भोजन तथा अन्य सभी गर्म चीजें जिन की तासीर गर्म होती है उन चीजों का त्याग कर देना चाहिए।
    • प्रेगनेंसी के दौरान आप एक्साइज करने से बचें क्योंकि एक्सरसाइज से आपके शरीर पर जोर पड़ता है और ऐसे में प्रेगनेंसी पर गलत प्रभाव पड़ता है इसलिए आप अपने एक्सपर्ट द्वारा सुझाए गए योग ही कर सकती हैं जो प्रेगनेंसी के लिए ही बने हो।।
    • कई पुरानी महिलाएं कहती है कि आपको प्रेगनेंसी के दौरान खूब चलना फिरना और काम करना चाहिए यह एक हद तक सही भी है और गलत भी क्योंकि आप अधिक काम करने से आपको मानसिक तनाव होता है और शारीरिक श्रम भी बहुत ज्यादा होता है इस कारण यह आपकी प्रेगनेंसी पर बुरा प्रभाव डालता है इसलिए आप दिन में कम से कम 2 घंटे की नींद अवश्य लें इससे आपके शरीर को रिलैक्स मिलता है और आप तनावमुक्त होते हैं।
    • प्रेगनेंसी के दौरानएसिडिटी बहुत होती है इस कारण इस समस्या से बचने के लिए आप ठंडे दूध का इस्तेमाल करें यह एसिडिटी में तुरंत राहत का काम प्रदान करता है।
    • प्रेगनेंसी के दौरान आपको खाना खाने के तुरंत बाद लेटना नहीं चाहिए आपको कम से कम 30 मिनट तक टहलना चाहिए इससे आपका खाना आसानी से पच जाएगा और आपको अपच की समस्या भी नहीं होगी।
    • यदि आप ऑफिस वर्कर हैं तो आपको प्रेगनेंसी के 4 से 5 महीने बाद आपको अपना काम करना छोड़ देना चाहिए क्योंकि बाहर आने जाने से आपके शरीर में दर्द हो सकता है और आपके पैरों में सूजन भी बढ़ सकती है इस कारण आप चाहें तो अपने घर से ही ऑफिस का सारा काम कर ले आजकल वर्क फ्रॉम होम बहुत ही ज्यादा चलन में है।


    तो दोस्तों यह थे प्रेगनेंसी के बारे में कुछ ऐसी जानकारी है जिसे पढ़कर आप अपने प्रेगनेंसी को बहुत हद तक सही कर सकते हैं। तथा जानकारियां लेकर अपना और अपने होने वाले शिशु का ख्याल रख सकते हैं।







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