लक्ष्मी जी की आरती( lakshmi ji ki aarti)जो दे आपको कई गुना धन समृद्धि

 

लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti)जो दे आपको कई गुना धन समृद्धि

Lakshmi ji ki aarti

दोस्तों हर कोई अपार धन समृद्धि पाना चाहता है हर इंसान को चाहत है कि वह बहुत ज्यादा धनवान हो परंतु हर किसी का सपना सच नहीं होता।हर कोई अपने बिजी शेड्यूल के कारण लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti) नहीं कर पाता एवं हर कोई अपने मन से भगवान की आराधना करने में असक्षम होता है। यदि आप धन समृद्धि पाना चाहते हैं तथा बहुत धनवान होना चाहते हैं और लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti) करना चाहते हैं, तो आप रोजाना सुबह सुबह उठकर मां लक्ष्मी की आराधना करें और लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti) रोजाना गाए, इससे आपको बहुत ज्यादा धन की प्राप्ति होगी और आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे कहा जाता है कि लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti) करने से व्यक्ति बहुत ज्यादा संपत्ति का मालिक बन जाता है तो आइए आनंद उठाएं लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti) का.......

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लक्ष्मी जी की आरती(lakshmi ji ki aarti)


ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
  तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ।।
               ओम जय लक्ष्मी माता

Om Jai Lakshmi Mata,mayya Jay Lakshmi Mata
 tumko nishadin savat, har Vishnu vidhata
              Om Jay Lakshmi Mata
 
    (आप पढ़ रहे हैं लक्ष्मी जी की आरती)

  उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ।
  सूर्य, चंद्रमा, ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।।
               ओम जय लक्ष्मी माता

Uma Rama Brahmani, Tum hi Jag Mata Surya chandrama dhyavat, Narad Rishi Gatha. Om Jai Lakshmi Mata

(Aap padh rhe h lakshmi ji ki aarti)

    दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपति दाता ।
 जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि सिद्धि पाता ।।
               ओम जय लक्ष्मी माता

Durga roop Niranjani, Sukh sampati data. Jo koi tumko Diyaavat, Riddhi Siddhi pata. Om Jay Lakshmi Mata

(आप पढ़ रहे हैं लक्ष्मी जी की आरती)


    तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता ।
 कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता ।।
                ओम जय लक्ष्मी माता

Tum Patal nivasini, Tum hi Shubh data. karam prabhav prakashini, Bav Nidhi ki trata.om jay Lakshmi mata

(Aap padh rhe h lakshmi ji ki aarti)


     जिस घर में तुम रहती, तह सब सद्गुण आता ।
       सब असंभव हो जाता, मन नहीं घबराता ।।
                ओम जय लक्ष्मी माता

Jis ghar me tum rehti,sab sadgun aata
Sab sambhav ho jata man nhi gabrata
Om jai lakshmi lakshmi mata

(आप पढ़ रहे हैं लक्ष्मी जी की आरती)

    तुम बिना यज्ञ ना होवे, वस्त्र ना हो पाता ।
     खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।
                ओम जय लक्ष्मी माता

Tum bin yagya n hove,vastra n ho pata
Khan pan ka vebhav, sab tumse aata
 Om jai Lakshmi mata

(Aap padh rhe h lakshmi ji ki aarti)


     शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
     रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ।।
                ओम जय लक्ष्मी माता

Shubh gun mandir sunder, kshirodadhi jata
Ratna chaturdash tum bin koi nhi pata
Om jai lakshmi mata

(आप पढ़ रहे हैं लक्ष्मी जी की आरती)

     श्री लक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
         उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ।।
                ओम जय लक्ष्मी माता

Shri lakshmi li ki aarti jo koi nar gata.ur aanand samata pap utrr jata.om jai lakshmi Mata

(Aap padh rhe h lakshmi ji ki aarti)


       ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।।
         तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ।।
                 ओम जय लक्ष्मी माता

Om jai lakshmi mata, maya jai lakshmi mata.tumko nishdin sevat h,vishnu vidhata om jai lakshmi mata.

(आप पढ़ रहे हैं लक्ष्मी जी की आरती)


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